कहा सबनें शराफत अब बची कम है ज़माने में
रहेगी तबतलक ये जबतलक हम हैं ज़माने में
भला इक बात की खातिर करें क्यों ज़िन्दगी ज़ाया
बहुत बातें अभी बाकी बहुत ग़म हैं ज़माने में
बड़ी तकलीफ में है वो नहीं उसको खबर लेकिन
दुआ करती हुई आँखें कहीं नम हैं ज़माने में
मेरी माँ सर पे मेरे हाथ रखती है हमेशा ही
करे एक बाल भी बांका नहीं दम है ज़माने में
मुहब्बत और भोलापन लगे गुज़री हुई बातें
उसे देखा लगा अब भी ये कायम हैं ज़माने में
करम कर खुद से ये चुन लो यहीं जो चाहते हो तुम
कि जन्नत है ज़माने में जहन्नम है ज़माने में
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