शब्दों में संवेदनाएं.....
बुधवार, 21 अक्टूबर 2009
ज़रूरत ही नही बनती .......
कोशिश
लाख
की
तेरी
तो
मूरत
ही
नहीं
बनती
हज़ारों
रंग
है
तेरी
तो
सूरत
ही
नहीं
बनती
जबसे
देखा
है
दिल
में
जो
मैंने
खुद
तुझे
तबसे
तेरी
सूरत
या
मूरत
की
ज़रुरत
ही
नहीं
बनती
................
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